चरित्र क्या है और मनुष्य समाज में चरित्र का क्या महत्व है ?

 चरित्र मनुष्य की सबसे अनमोल संपदा होती है, जो उसके संस्कारों का सार होता है। यह मनुष्य के व्यक्तित्व, आचरण और मूल्यों का संयोजन है। सभी संत जन कहते हैं कि यह एक ऐसी अनमोल संपदा है जिसको कमाने में कई जन्म लग जाते हैं।

चरित्र क्या है और मनुष्य समाज में चरित्र का क्या महत्व है

चरित्र ही मनुष्य की सच्ची कमाई है और यही मनुष्य की असली पहचान है। चरित्र ही मनुष्य चेतना को ऊपर उठाने में सहायक होता है। चरित्र ही ऐसी पूंजी है जिसके कारण मनुष्य का जीवन अनमोल है। वरना शरीर तो पशु के पास भी होता है।

चरित्र का समाज में महत्व

एक चरित्रवान समाज में ही एक दूसरे से संबंध मजबूत रहते हैं और सभी आत्म सम्मान और आत्म विश्वास से भरे रह सकते हैं। चरित्रवान मनुष्यों से ही सभी के व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ पूरे समाज और देश का आर्थिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास संभव है।

चरित्रहीनता के नुकसान

आज सबसे बड़े दुःख की बात यह है कि इस अनमोल संपदा को मनुष्य कौड़ियों के भाव बेच रहा है, अर्थात मनुष्य का जमीर गिरता ही जा रहा है। आज कामनाओं की पूर्ति करने में मशगूल मनुष्य अच्छे और बुरे की समझ खो चुका है।

चारों ओर बेईमानी, लूटपाट, रिश्वतखोरी, मिलावट, अवैध संबंध, चोरी, कपट, झूठ और धोखेबाजी हर मनुष्य की कमजोरी बन गई है, ये सब चरित्रहीनता के ही लक्षण हैं जिसके परिणाम स्वरुप चारों ओर अशांति, बिखराव, अविश्वास, स्वार्थपरता और नकारात्मकता आदि का बोलबाला है।

हे मनुष्यो, चरित्र का गिरना मनुष्य समाज के लिए कोई छोटी घटना नहीं है। अगर मनुष्य समाज में चरित्र का स्तर ऐसे ही गिरता रहा तो एक दिन मनुष्य नहीं सिर्फ शरीर घूमते नजर आएंगे। वैसे यह समस्या आज से नहीं बल्कि चरित्र का स्तर हजारों सालों से ही गिर रहा है, तभी तो विवेकवान मनुष्यों द्वारा कानून नाम की जंजीर सभी के पैरों में डाली गई है ताकि चरित्रवान लोग शांति से रह सकें।

हे मनुष्यो, आज चरित्र के गिरते स्तर को रोकना बहुत जरूरी है, अन्यथा इस संसार में मनुष्य का जीवन यापन बहुत कठिन हो जाएगा। चरित्रहीनता मतलब मनुष्यता का विपरीत दिशा में यात्रा करना जिससे पूरे मानव समाज ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति का भी संतुलन बिगड़ता है।

समाज में चरित्रहीनता एक ऐसा जहर है जो हर मनुष्य के स्वयं और उसके परिवार, समाज और देश सभी को धीरे-धीरे करके उजाड़ देता है और सभी की प्रतिष्ठा भी खत्म कर देता है, जिससे सभी के आत्म सम्मान को ठेस लगती है और आत्म सम्मान की ठेस दूसरों को भी चरित्र से गिरा देती है। चरित्रहीनता से ही समाज में भय, कायरता आदि भयानक बीमारियां उत्पन्न होती हैं और पूरा समाज व परिवार सभी नष्ट होने लगता है। सभी एक दूसरे पर भरोसा करना बंद कर देते हैं।

हे मनुष्यो, सभी बुद्धिजीवी संतों ने कहा है कि “कलंक काजल से भी काला होता है” परंतु चरित्रहीनता कलंक से भी खतरनाक है क्योंकि इससे देश, धर्म, राजनीति, व्यवसाय आदि सब कुछ प्रभावित होता है।

उपाय:

1. महिलाओं, बच्चों व युवाओं सभी को आध्यात्मिक शिक्षा की ओर प्रेरित करना चाहिए।

2. विवेक जागृत करने के लिए सभी बच्चों, युवाओं व महिलाओं को ध्यान, जप, तप आदि सख्ती से करवाना चाहिए।

3. धर्म के आचरण के महत्व पर हर गांव व शहर में सामुहिक गोष्ठियाँ करना चाहिए।

4. समाज में से मनुष्य चरित्र को गिराने वाली किताबों, सीरियलों व फिल्मों का विरोध करना चाहिए।

5. हमारे महान आदर्श पुरुषों श्री राम, श्री कृष्ण, विवेकानंद जी, कबीर जी, गुरु नानक देव जी, गुरु जंभेश्वर जी जैसे सभी महापुरुषों की जीवनी बचपन से ही सभी बच्चों को पढ़ाना चाहिए।

6. हर मनुष्य आज ही आत्म मूल्यांकन करें कि क्या वह चरित्रवान है तभी सभी महिलाएं, बच्चे व युवा इसे अपने जीवन में अपना पाएंगे।

7. सभी स्कूल में गुरुकुल पदती को लागू करवाना चाहिए।

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